जब हम बैंक से डेबिट कार्ड इशू करवाने जायेंगे तो बैंक्स हमे तीन तरह के कार्ड्स दे सकता है। ये हैं Visa कार्ड, mastercard और RuPay कार्ड। पहले हमे किस भी तरह के पैसो के लेन देने के लिए यानी transaction के लिए बैंक जाना होता था तो इसे आसान करने के लिए बैंक ने ATM कार्ड की सुविधा देनी शुरू की। फिर बैंक जाने की ज़रुरत काम हो गयी और कैश निकलना आसान हो गया। फिर ये दो कम्पनीज मार्किट में आयी वीसा और मास्टरकार्ड और ये लोग पेमेंट नेटवर्क्स बन गए। इन्होने सारे बैंक्स के साथ टाई अप करके बैंक्स के सर्वर में एक्सेस ले लिया और इससे सबका डेटाबेस एक ही नेटवर्क में स्टोर हो गया।
तो ये कम्पनीज मीडिएटर हैं आपके और आप जिसको पैसे भेज रहे हैं उनके बीच में।
ये दो कम्पनीज बहार की होने की वजह से होता ये है की आप जब पैसे भेजते हैं तो आपके अकाउंट से तो पैसे काट जाते हैं लेकिन जिसको भेज रहे हैं उस तक पहुँचते पहुँचते लगभग दो दिन का समय लग जाता है। इन दो दिनों में प्रोसेसिंग होती है और ये कम्पनीज अपनी एक से दो परसेंट का शेयर काट कर पैसे भेजती हैं। तो यहाँ पर हर ट्रांसक्शन की एक फी देनी पड़ती है।
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यहाँ लगभग हम सबको जो पैसे भेजने होते हैं वो अपने देश में ही भेजने होते हैं तो बहार की कम्पनीज तो ट्रांसक्शन फी देने का कोई तुक नहीं बनता। तो इस बात को ध्यान में रखते हुए NCPI यानी भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payment Corporation of India) ने RuPay कार्ड बनाया जिससे ट्रांसक्शन फी भी काम होगयी। जहाँ बाकी दोनों कार्ड्स बहार भी चलते हैं, Rupay कार्ड सिर्फ इंडिया में ही काम करता है। इसके बाद इस कार्ड ने बहार भी कहीं कहीं टाई अप कर लिया लेकिन इसके लिए अलग कार्ड आता है जो है RuPay प्लैटिनम जो सबको इशू नहीं होता।
आजकल बैंक्स Rupay कार्ड ही इशू कर रहे हैं क्यूंकि इसमें फीस भी काम लगती है और इससे इंडियन की अर्थव्यवस्था यानी economy को भी फायदा है।
तो कार्ड्स वो नेटवर्क्स हैं जो हमारा पेमेंट एक बैंक से दूसरे बैंक तक पहुंचा रहे हैं। ये कार्ड स्वाइप करके किया जा सकता है, online banking से किया जा सकता है या कैश निकलवा के किआ जा सकता है।